Last modified on 17 जनवरी 2011, at 14:07

जंगल / रतन सिंह ढिल्लों

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 17 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रतन सिंह ढिल्लों |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> हम जंगल उगा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम जंगल उगा रहे हैं
फ़ाइलों में
जंगल पढ़ा रहे हैं
पाठ्य-पुस्तकों में ।

जंगल तो केवल
एक तस्वीर बन गई है
ड्राइंग रूम की ।

जंगल तो
केवल काटे जा सकते हैं
उगाए नहीं जा सकते ।
 
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला