आप जिस कविता का योगदान करना चाहते हैं उसे इस पन्ने पर जोड दीजीये।
कविता जोडने के लिये ऊपर दिये गये Edit लिंक पर क्लिक करें। आपकी जोडी गयी कविता नियंत्रक द्वारा सही श्रेणी में लगा दी जाएगी।
- कृपया इस पन्ने पर से कुछ भी Delete मत करिये - इसमें केवल जोडिये।
- कविता के साथ-साथ अपना नाम, कविता का नाम और लेखक का नाम भी अवश्य लिखिये।
- अब तक के योगदान जिन्हें इस पन्ने से हटा कर सही श्रेणी में पहुँचा दिया गया है:
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* यहाँ से नीचे आप कविताएँ जोड सकते हैं ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
दिन दिवंगत हुए
रोज़ आँसू बहे रोज़ आहत हुए रात घायल हुई, दिन दिवंगत हुए हम जिन्हें हर घड़ी याद करते रहे रिक्त मन में नई प्यास भरते रहे रोज़ जिनके हृदय में उतरते रहे वे सभी दिन चिता की लपट पर रखे रोज़ जलते हुए आख़िरी ख़त हुए दिन दिवंगत हुए !
शीश पर सूर्य को जो सँभाले रहे नैन में ज्योति का दीप बाले रहे और जिनके दिलों में उजाले रहे अब वही दिन किसी रात की भूमि पर एक गिरती हुई शाम की छत हुए ! दिन दिवंगत हुए !
जो अभी साथ थे, हाँ अभी, हाँ अभी वे गए तो गए, फिर न लौटे कभी है प्रतीक्षा उन्हीं की हमें आज भी दिन कि जो प्राण के मोह में बंद थे आज चोरी गई वो ही दौलत हुए । दिन दिवंगत हुए !
चाँदनी भी हमें धूप बनकर मिली रह गई जिंन्दगी की कली अधखिली हम जहाँ हैं वहाँ रोज़ धरती हिली हर तरफ़ शोर था और इस शोर में ये सदा के लिए मौन का व्रत हुए। दिन दिवंगत हुए!
-डॉ० कुँअर बेचैन