रचनाकारः अनिल जनविजय
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बदलियाँ हैं बदलियाँ
गगना के तन पर
लागी हों जैसे
प्रेमपगी रतिमना थिगलियाँ
बदलियाँ ये बदलियाँ
अनिल संग विचर रहीं
आकुल तन नीर नयन
उन्मादिनी चंचल करें चुगलियाँ
बदलियाँ रे बदलियाँ
2002 में रचित