Last modified on 8 जून 2007, at 02:17

वह दिवस / अनिल जनविजय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:17, 8 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अनिल जनविजय Category:कविताएँ Category:अनिल जनविजय ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकारः अनिल जनविजय

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


दिन था भीषण गर्मी का

मन मेरा तुझसे मिलने को अकुलाया

भरी दुपहरी, तेज़ धूप थी

चार कोस पैदल चलकर मैं तुझ से मिलने आया


पर बन्द थी तेरी कुटीर

तुझे देखने को आतुर

मगन मन मेरा था अधीर

चल रही थी उत्तप्त लू, झुलसाती थी शरीर

उस बन्द कुटी के सम्मुख ही मैं सारा दिन बैठा आया


कपोत-कंठी तू ललाम वामा

अभिसारिका, अनुपमा, मादक, कामा

हृदय बिंधे तेरे सम्मोहक बाण

वशीकरण बंधे थे मेरे प्राण

उस दिवस ही कवि बना मैं, उस दिवस ही पगलाया


1999 में रचित