Last modified on 21 जनवरी 2011, at 17:49

किताब में लिखे तुम / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 21 जनवरी 2011 का अवतरण ("किताब में लिखे तुम / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किताब में लिखे तुम,
बड़े अच्छे लगते हो कविवर!

किताब से बाहर,
पेट में पलस्टर लगाए,
अस्पताल में दाखिल
बीमार दिखते हो तुम,
कविवर!

अस्पताल से बाहर,
अस्तित्व को पाने के लिए,
सम्प्रेषण कर पाने के लिए,
जी-जान से कुलकते
बड़े जीवंत
दिखते हो तुम
कविवर!

रचनाकाल: १९-०९-१९९०