Last modified on 24 जनवरी 2011, at 12:41

गैहण / श्याम महर्षि

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 24 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम महर्षि |संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि }} [[Category:…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मिनखपणैं नैं
लाग रैयो है गैहण,
च्यारूंमेर
अन्धारो ई अन्धारो
पण
गैहण मिटै
इणा खातर बो
नीं करै कोई खैचल
गैहण री मियाद
बधती जाय रैयी है
लगोलग,

गैहण सूं
हुवतै उजाड़ सूं
बो ओजूं ई
निसफिकर है,
कदै कदास
बो बिचारै कै
ओ गैहण
मिट क्यूं नीं जावै
आपो आप
कदास हूय जावै
नूंवो उजास
जद कै
ओ गैहण
उण रै मन मांय
बैठ्यो है घेरो घाल‘र
उण्डो घणौ उण्डो