मकान में जैसे चारों तरफ़ घूम रहा है कोई प्रेत ।
सबसे ऊपर वाली मंज़िल पर पत्ते चबा रही है कोई छायाकृति ।
बार-बार दुष्टता करने पर तुला हुआ
कोई पिशाच घूम रहा है घर में ।
वह होने लगता है घरवालों की तरह उधम मचाते हुए ।
छत पर उसकी पदचाप सुन सकते हैं ।
वह टेबुल पर चादर को उधिया देता है
और लगता है चप्पल पहनकर शयन-कक्ष में चला गया हो ।
वह आँधी के झोंके पर
घुड़मुड़ियाते हुए गंदे पाँव दौड़कर हॉल में चला जाता है
परदे को नचा जाता है नर्त्तकी की तरह
छत की ओर, दीवार पर ।
दुष्टता करने वाला यह निर्लज्ज कौन है ?
एक वहम तो नहीं ? कोई बहुरूपिया है क्या?
ओ, ये हमारे अतिथि हैं, ग्रीष्मकालीन हमारे मेहमान
छुट्टियाँ बिताने जो आए हैं हमारे साथ ।
हमारे घर को जैसे भाड़े पर ले लिया हो
विश्राम भोगने के हेतु
हमारा अल्पकालीन मेहमान है
वातास और वज्रघोष वाला जुलाई मास ।
अपनी जेब से उड़ा रहा है
बगूलों की फुज्जी घटाटोप ।
अंदर आती है जो खिड़की से होकर
बकवास करती हुई ज़ोर-ज़ोर से ।
वह है जुलाई मास- बिन सँवरे, मैला कुचैला अनवधान
मधुरिका और राई की गंध से सिक्त ।
कुसुमित जंभीर वाला जुलाई मास ।
घासों और चुकन्दर के पत्तों वाला जुलाई मास ।
शाद्वल की सुरभि से मह-मह करता जुलाई मास ।
अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : अनुरंजन प्रसाद सिंह