धरती की तरह फैली थी वह
पर उसे पहाड़ की तरह दिखना था
मटमैले शरीर पर बादल का वस्त्र पहने
जल के स्रोत से वह निनाद की तरह थी
पुरुषों की भाषा को जगह-जगह तोड़कर
अपने व्याकरण में वह निर्द्वंद्व विचर रही थी
पुरुषों की भाषा में यह भय की शुरुआत थी
धरती की तरह फैली थी वह
पर उसे पहाड़ की तरह दिखना था
मटमैले शरीर पर बादल का वस्त्र पहने
जल के स्रोत से वह निनाद की तरह थी
पुरुषों की भाषा को जगह-जगह तोड़कर
अपने व्याकरण में वह निर्द्वंद्व विचर रही थी
पुरुषों की भाषा में यह भय की शुरुआत थी