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स्त्री-2 / अरुण देव

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पुरुष के रथ पर
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सवार थे
पुरुषार्थ का आखेट स्त्री थी

घर के बाहर खोजा अपना अर्थ उसने जब
पिता, भाई, पति और पुत्र के संरक्षण से
बाहर निकली उसकी हठीली काया के लिए
कवियों के पास भाषा नहीं रही ।