यह कविता अधूरी है। कृपया आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें।
अब यहाँ पल में वहाँ कब किस पे बरसें क्या ख़बर,
बदलियाँ भी हैं फ़रेबी यार नैनीताल की !
लोग रोनी सूरतें लेकर यहाँ आते नहीं,
रूठना भी है मना वादी में नैनीताल की !
अर्द्धनंगे ज़िस्म हैं या रंग-बिरंगी तितलियाँ,
पूछती है आप ही से 'माल' नैनीताल की !
ताल तल्ली हो कि मल्ली चहकती है हर जगह,
मुस्कराती और लजाती शाम नैनीताल की !
चमचमाती रोशनी में रात थी नंगे बदन,
झिलमिलाती, गुनगुनाती झील नैनीताल की !
खूबसूरत जेब हो तो हर नगर सुन्दर लगे,
जेब खाली हो तो ना कर बात नैनीताल की !