Last modified on 31 जनवरी 2011, at 16:48

फ़रियाद / मख़दूम मोहिउद्दीन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:48, 31 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मख़दूम मोहिउद्दीन |संग्रह=बिसात-ए-रक़्स / मख़दू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कोई किसी को बताता नहीं कि क्या खोया
किसी को याद नहीं है कि दिल पे क्या गुज़री
दिलों में बंद हैं तलख़ाब-ए-हयात<ref>जीवन का कड़वा पानी</ref> के खुम<ref>प्याला, पात्र</ref>
कोई ज़बान से कहता नहीं के ग़म क्या है ।
हर एक ज़ख़्म के अंदर है ज़ख़्म, दर्द में दर्द
किसी की आंख में काँटें, किसी की आँख में फूल
कहं गुलाब, कहीं केवड़े की बस्ती है
ये सरज़मीन इक-इक बूँद को तरसती है ।

शब्दार्थ
<references/>