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नया चीन / मख़दूम मोहिउद्दीन

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इन्साँ की आरजू ने इन्साँ की जुस्तजू<ref>खोज, तलाश</ref> ने
गिरती हुई ज़मीं को आकाश में उछला ।
वो मोड़ आ गया है मशरिक<ref>पूरब</ref> की ज़िन्दगी में
हर गाम<ref>क़दम</ref> पर सवेरा, हर सूं<ref>ओर</ref> नया उजाला ।

शब्दार्थ
<references/>