कवि, गीतकार राधा मोहन चौबे (अंजन जी) का जन्म दिनांक 4 दिसम्बर 1938 को ग्राम शाहपुर-डिघवा, थाना-भोरे, गोपालगंज जनपद, बिहार में हुआ था । इनके पिता का नाम श्रीकृष्ण चतुर्वेदी और माता का नाम महारानी देवी था । बाद में अंजन जी अपने ननिहाल ग्राम अमहीं बाँके, डाक-सोहनरिया , कटेया में स्थाई रूप से बस गए और आज भी इसी पते पर रहते हैं । अंजन जी बचपन से ही कविताएँ लिखने लगे थे । परन्तु प्रसिद्ध भोजपुरी कवि धरीक्षण मिश्र के संपर्क में आकर अंजन जी की काव्य प्रतिभा में निखार आया । अंजन जी प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे । इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । अंजन जी ने बाद में हिन्दी मे एम०ए० किया। इसके बाद वे अध्यापन करने लगे । 19 अगस्त 1959 को उन्होंने नौकरी शुरू की थी । तब से शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्राचार्य, प्रखण्ड शिक्षा अधिकारी, क्षेत्र शिक्षा अधिकारी आदि पदों पर कार्यरत रहे और फिर 1 फरवरी 1998 को सेवानिवृत्त हो गए । अंजन जी भोजपुरी गीतकार के रूप में मशहूर हुए। उन्होंने आकाशवाणी पटना पर भी गीत प्रस्तुत किए। अंजन जी ने वैसे तो कविताओं और गीतों के अलावा कहानियां, उपन्यास और नाटक भी लिखे हैं। इनके गीतों में गंवई समाज, संवेदना के उत्कर्ष और अपकर्ष की धुरी के चारों ओर अभिव्यक्ति पाता है । आज भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के तमाम गायक अंजन जी के गीतों से जनमानस को मन्त्रमुग्ध करते हैं । अंजन जी कवि, गीतकार के साथ-साथ अच्छे पहलवान भी रहे हैं । अंजन जी की कुल 25 पुस्तकें प्रकाशित हैं । इनकी पहली किताब-कजरौटा, 1969 में प्रकाशित हुई थी । कुछ अन्य मुख्य प्रकाशित पुस्तकों के नाम हैं-फुहार, संझवत, पनका, सनेश, कनखी, नवचा नेह, अंजुरी, अंजन के लोकप्रिय गीत, हिलोर आदि । अंजन जी को पश्चिम बंग भोजपुरी परिषद, कोलकाता, मुम्बई दूरदर्शन आदि द्वारा समय-समय पर सम्मानित भी किया गया ।