Last modified on 2 फ़रवरी 2011, at 20:19

दूज का चाँद / अज्ञेय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 2 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=आँगन के पार द्वार / अज्ञेय }} {{KKCatKavita}}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दूज का चाँद-

मेरे छोटे घर-कुटीर का दिया
तुम्हारे मंदिर के विस्तृत आँगन में
सहमा-सा रख दिया गया ।