Last modified on 4 फ़रवरी 2011, at 17:37

मौत / भरत ओला

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:37, 4 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: मुझे अच्छी तरह याद है जब मैं पहली बार मरा था बहुत पीड़ा हुई थी हजार…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुझे अच्छी तरह याद है जब मैं पहली बार मरा था बहुत पीड़ा हुई थी हजारों-हजारों बिच्छूओं ने मारा हो डंक एक साथ

बस उस दिन के बाद मेरा काम सरा था


मुझे अच्छी तरह याद है
जब मैं पहली बार मरा था
बहुत पीड़ा हुई थी
हजारों-हजारों बिच्छूओं ने
मारा हो डंक
एक साथ

बस उस दिन के बाद
मेरा काम सरा था

बहुत रोया था मैं
अपनी पहली मौत पर
किसी कूरिये<ref>पिल्ला</ref> के मरने पर
जैसे कुत्ती रोया करती है
रात रात भर

अब मैं
हर रोज मरता हूं
दतर, घर
गाहे-बगाहे
बीच चौराहे
सामने खड़े
खिचड़ी दाढ़ी वाले
झुर्रीदार उदास चेहरे की
अनगिनत रेखाओं का
अब मुझ पर
असर नही होता

यकीनन
मैं मर चुका हूं
अब मेरे भीतर
किसी तरह का
समर नहीं होता

शब्दार्थ
<references/>