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साथियो !
क्या है कविता ग़र नहीं करती यह एलान बगावत का ?
ग़र उखाड़ नहीं फेंकती यह निरंकुश सत्ता को ?
क्या है कविता ग़र यह नहीं भड़काती ज्वालामुखियों को वहाँ
जहाँ हमें उनकी ज़रूरत है ?
और क्या मतलब है कविता का आख़िर
ग़र यह नोच नहीं लेती दुनिया के ताक़तवर बादशाहों के सर से ताज ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल