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कहारिन / अनिल जनविजय

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वह कहारिन
काली लड़की
बहुत सुन्दर है

पानी भरते, बरतन मलते
काली लड़की
गीत कोई गुनगुनाती है
मुंडेर पर एक कोयल ठहर जाती है

छोटा कोठा, बड़ा कोठा
रसोईघर, कोठार, आँगन बुहारती है
काली लड़की
दुत-दुत कुत्ते को दुतकारती है
खिड़की में गिलहरी एक फुतकारती है

नीले-लाल, पीले-हरे, काले और सफ़ेद
निकर, धोती, ब्लाऊज, पैंट, कमीज़, चादर, खेस
कपड़ों को कूटती है
काली लड़की
चिनगी बन भीतर-भीतर
धीरे-धीरे, चटक-चटक फूटती है
नेवले-सी चुपचाप साँपों को ढूँढ़ती है

बहुत सुन्दर है
वह कहारिन
एक कोयल
गिलहरी
नेवले-सी
काली लड़की ।