Last modified on 10 फ़रवरी 2011, at 17:40

अंतर्नाद / दिनेश कुमार शुक्ल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=कभी तो खुलें कपाट / दि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अभी उड़ेंगे
कपोत इस जहाज से,
लौट भी आयेंगे
फिर यहीं

इस बीच
उनकी प्रतीक्षा का
अन्तर्नाद
फड़फड़ाता रहेगा किसी
हृदय के गुम्बद में