Last modified on 10 फ़रवरी 2011, at 17:46

कौन / दिनेश कुमार शुक्ल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:46, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=कभी तो खुलें कपाट / दि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कौन सुनेगा
उसका ब्रह्माण्ड रोदन
क्या सुना भी जा सकता है
निर्वात में

कौन सूँघेगा
उसकी आत्मा से उठती अरघान
क्या सूँघा जा सकता है
मिट्टी के बगैर

कौन साक्षी होगा
उसके आत्मदाह का
क्या है कोई
जो जले साथ-साथ
चिता की लकड़ियों की तरह

कौन आप्त होगा
उसकी करुणा से
क्या द्रवित हुअर जा सकता है
बिना अडिग चट्टानों के

कहाँ गई प्राणवन्त वायु
कहाँ गई सोंधी माटी
लुप्त हो गये वन
पिघल गई चट्टानें
प्लास्टिक की गेंद भर है
पृथ्वी अब