मैं पलाश की अग्नि
मुझे तुम मत छू लेना
रंग
लाल-नीला-पीला कैसा भी हो
रंगों की हिंसा
नहीं झेल पायेगा निर्मल रूप तुम्हारा
तुम तो आत्मा की सुगंध हो
मैं पलाश की अग्नि
मुझे तुम मत छू लेना
रंग
लाल-नीला-पीला कैसा भी हो
रंगों की हिंसा
नहीं झेल पायेगा निर्मल रूप तुम्हारा
तुम तो आत्मा की सुगंध हो