Last modified on 22 फ़रवरी 2011, at 04:36

बदळाव / सांवर दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:36, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुण भायला !
बै दिन गया
जद थारै आवण री खबर सुणतां ई
म्हारो मन करण लागतो थड़ी
अबै तूं आवै जणा
मुळक’र मिलूं तो सरी
पण मन में सोचतो रैवूं-
  आछी अळबत गळै पड़ी ।