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खुशफहमियों में चूर, अदाओं के साथ –साथ / मयंक अवस्थी

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खुशफहमियों में चूर ,अदाओं के साथ –साथ
भुनगे भी उड़ रहे हैं हवाओं के साथ –साथ

पंडित के पास वेद लिये मौलवी क़ुरान
बीमारियाँ लगी हैं दवाओं के साथ –साथ

वो ज़िन्दगी थी इसलिये हमने निभा दिया
उस बेवफा का संग वफ़ाओं के साथ –साथ

इस हादसों के शह्र में सबकी निगाह में
खामोशियाँ बसी हैं सदाओं के साथ –साथ

आयेगा ज़िंदगी में अभी मौत का पड़ाव
वो बख्शता है धूप भी छाँओं के साथ-साथ

उड़ने लगी है सर पे मेरे रास्ते की धूल
कल होगी रहग़ुज़ार में पाओं के साथ –साथ

जज़बात खो गये मेरे आँसू भी सो गये
बच्चों को नींद आ गयी माँओ के साथ-साथ