Last modified on 14 जून 2007, at 00:19

होटल / अरुण कमल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 14 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अरुण कमल Category:कविताएँ Category:अरुण कमल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ '''1 सब ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकारः अरुण कमल

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


1


सब कुछ यही रहता

ऎसी ही थाली

ऎसी ही कटोरी, ऎसा ही गिलास

ऎसी ही रोटी और ऎसा ही पानी;

बस थाली के एक तरफ़

माँ ने रख दी होती एक सुडौल हरी मिर्च

और थोड़ा-सा नमक ।


2


जैसे ही कौर उठाया

हाथ रुक गया ।


सामने किवाड़ से लगकर

रो रहा था वह लड़का

जिसने मेरे सामने

रक्खी थी थाली ।