रचनाकारः अरुण कमल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
इसके पहले कि तुम उगो
ओ बीज
मैंने तुम्हें मिट्टी से ढाँपा था ।
इसके पहले कि तुम खिलो
ओ गुलाब
तुम्हारी कलम पर मैंने
थोपा था गोबर ।
इसके पहले कि तुम फलो
ओ बैगन के पौधे
तुमने ख़ुद ही झाड़े थे
कितने कठफूल ।