Last modified on 4 मार्च 2011, at 21:50

राजकुमारी-7 / नीरज दइया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 4 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> वह दिन भी आया जब पू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह दिन भी आया
जब पूरा हुआ व्रत
किया था इंतज़ार
इस दिन का
गिन-गिन कर दिन

राजकुमारी !

क्या अब भी
गिनने ही हैं
दिन-दिन
लेकिन कब तक ?