Last modified on 4 मार्च 2011, at 21:53

राजकुमारी-8 / नीरज दइया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 4 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> राजकुमारी ने बताए…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राजकुमारी ने बताए
अपने महल के
एक के बाद एक
बहुत सारे रहस्य !

वह गुप्त रास्ता
जो खोल देता
सारे रहस्य
वह वहाँ आकर रूकी
और रूकी रही

नहीं खोलने दिया
नहीं खोला वह दरवाज़ा

वह जो भी था
इंतज़ार में
अब भी स्मृति में
वहीं खड़ा है
राजकुमारी खोई है
किसी स्वप्न में
वहाँ भी कोई राजकुमार नहीं ।