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वेदना गीत / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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वेदना गीत (जीवन दर्शन)
 
सुख मैं जिसे समझता था वह दारूण दुख था,
निश्छल सा देखा मैने उस छल का मुख था।
प्रकट हो गयी अब यथार्थता उसकी सारी,
विजय नहीं थी वह थी हार बहुत सारी।
( वेदना गीत कविता का अंश)