नदी
(हर्ष उल्लास चित्रण)
जिन पर रहते हिलते
उसके सुमधुर अधर।
शशि आलिंगित सांध्य जलद से
गिरि पर सुंदर।
वह तट पर उल्लास उछाल
छलक कर बहती।
पत्थर में वह फूल खिला
फेनिल हो हँसती।
( नदी कविता का अंश)
नदी
(हर्ष उल्लास चित्रण)
जिन पर रहते हिलते
उसके सुमधुर अधर।
शशि आलिंगित सांध्य जलद से
गिरि पर सुंदर।
वह तट पर उल्लास उछाल
छलक कर बहती।
पत्थर में वह फूल खिला
फेनिल हो हँसती।
( नदी कविता का अंश)