Last modified on 6 मार्च 2011, at 14:08

प्रेम भावना / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 6 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> '''प्रेम भावना'''…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रेम भावना
(प्रेम का मार्मिक चित्रण)
प्यार मुझे कोई गीला आँखों से करती।
मेरे ही चिंतन में कोई डूबी रहती,
आती आंगन में बैठी रहती द्वारों पर,
पीली पड़ती ज्योत्सना सी सूनी आहें भर,
छाँह किसी की सदा दृगों में मेरे फिरती,
प्यार मुझे कोई गीली आँखों से करती।
(प्रेम भावना कविता का अंश)