कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।
सूरज ने सोने के हल ले
चीरा नीलम का आसमान
किरणों ने हँस कोमल असंख्य
बोए प्रकाश के पीत धान
वे उगे गगन में, पल भर में
पक कर फैले इस धरणी पर
कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।
सूरज ने सोने के हल ले
चीरा नीलम का आसमान
किरणों ने हँस कोमल असंख्य
बोए प्रकाश के पीत धान
वे उगे गगन में, पल भर में
पक कर फैले इस धरणी पर