Last modified on 8 मार्च 2011, at 16:40

अंतिम मिलन / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 8 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल |संग्रह=जीतू / चन्द्रकुं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अंतिम मिलन
(शिव के अद्वैत सिंद्वांत का चित्रण)
म्ेारी बाहें
सरिताओं से आकुल होकर
दिशा दिशा में खोज रही हैं
वह प्रिय सागर
जिसे हृदय पर धर कर
मिलती शान्ति निरन्तर
जिसकी छवि में खो जाता
युग युग को जीवन
जिसे देख कर कुछ न दीखता
फिर पृथ्वी पर
मेरी बाहें
खोज रही हैं वह प्रिय सागर
(अंतिम मिलन कविता का अंश)