Last modified on 8 मार्च 2011, at 16:42

आशायें / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:42, 8 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल |संग्रह=जीतू / चन्द्रकुं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आशायें
(निराशा में भी आशा का चित्रण)
टअंग दीन हो गये और
मेरी आशायें क्षीण हुयी
ओ रवि ! मुझको अपनी किरणों में जागृति दो
शोभा दो और शक्ति दो
 मुझे जगाओ जीवन के कर्तव्य क्षेत्र में
जहाँ बज्र- आधात सहे जाते हँस -हँस कर
जहाँ निराशायें
जीवन के आगे झुककर
बन जाती हैं आशाओं की भी आशायें
(आशायें कविता का अंश)