Last modified on 15 मार्च 2011, at 20:56

बचपन / कृष्ण कुमार यादव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:56, 15 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण कुमार यादव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> मैं डरता हू…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं डरता हूँ
अपना बचपना खोने से
सहेज कर रखा है उसे
दिल की गहराईयों में

जब भी कभी व्यवस्था
भर देती है आक्रोश मुझमें
जब भी कभी सच्चाई
कड़वी लगती है मुझे
जब भी कभी नहीं उबर पाता
अपने अंतर्द्वंद्वों से
जब भी कभी घेर लेती है उदासी
तो फिर लौट आता हूँ
अपने बचपन की तरफ

और पाता हूँ एक मासूम
एवं निश्छल-सा चेहरा
सरे दुख-दर्दों से परे
अपनी ही धुन में सपने बुनता ।