Last modified on 16 जून 2007, at 00:55

घंटी / असद ज़ैदी

Lina niaj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:55, 16 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असद ज़ैदी }} धरती पर कोई सौ मील दूर सुस्त कुत्ते की तरह ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


धरती पर कोई सौ मील दूर सुस्त कुत्ते की तरह पड़ा हमारा दर्द

अचानक आ घेरता है नए शहर में

तेज़-रफ़्तार वाहन पर बैठे-बैठे

आँखें मुंद जाती हैं मेज़बान अचंभे में पड़ जाते हैं :

तुम ये क्या कर रहे हो वह पूछते हैं

हम विदा हो रहे हैं

हम विदा हो रहे हैं पारे की बूँदों की तरह

हम विदा हो रहे हैं चमकते हुए

हम क्या कर रहे हैं दोस्तों ? हम विदा हो रहे हैं

आकाश एक तंग छतरी बनकर रह गया है इस जगह की

हर चीज़ मेरे गले तक आ गई है

दिन की यह निर्णायक घड़ी एक सतत घंटी बनकर

टनटना रही है सलाम !

मैं अब जाऊँगा