Last modified on 25 मार्च 2011, at 14:54

नैन मिले अनमोल / शतदल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:54, 25 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !

इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली ।

इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !

सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना ।

नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल ।