Last modified on 25 मार्च 2011, at 22:11

यह भी अजब तमाशा है / शतदल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:11, 25 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह भी अजब तमाशा है ।
जिसको देखो प्यासा है ।

प्यार तुम्हारा क्या कहने
पानी-धुला बताशा है ।

फूलों और बारुदों की
अपनी-अपनी भाषा है ।

मुखिया मेरी बस्ती का
बना गोगियापाशा है ।