Last modified on 28 मार्च 2011, at 01:29

उदास नहीं / गुलज़ार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:29, 28 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = }} {{KKCatNazm}} <poem> बस एक चुप-सी लगी है, न…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बस एक चुप-सी लगी है, नहीं उदास नहीं
कहीं पे साँस रुकी है, नहीं उदास नहीं

कोई अनोखी नहीं ऐसी ज़िंदगी लेकिन
मिली जो, ख़ूब मिली है, नहीं उदास नहीं

सहर भी, रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन
हमीं ने शाम चुनी है, नहीं उदास नहीं

बस एक चुप-सी लगी है, नहीं उदास नहीं
कहीं पे साँस रुकी है, नहीं उदास नहीं।