Last modified on 28 मार्च 2011, at 18:46

बसंत / श्याम किशोर

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:46, 28 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बसन्त
एक ज़िन्दा एहसास है
आग का ।

तुम किसी
पेड़,
फूल,
रंग
या ख़ुशबू को
उसका नाम नहीं दे सकते

उस रूप में वह
अधूरा
और
अपाहिज है

जब कि
वह महकता है
जीवित व्यक्ति में
एक आग बन कर
अपने सम्पूर्ण प्रज्ज्वलन
और
मोहकता के साथ