Last modified on 1 अप्रैल 2011, at 10:29

फिर रचूँगा मैं / श्याम बिहारी श्यामल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:29, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम बिहारी श्यामल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> धार पर ओ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धार पर ओठँघकर
टेरूँगा ज़िंदगी
हँकाऊँगा बार-बार
परबत पर प्यार
गुनगुनाकर बनाऊँगा निर्धूम
हींड़-हाँड़कर छोड़ा हुआ आकाश

रचूँगा
मैं रचूँगा फिर
सूरज-चाँद से लैस कविता
नई, सुवासित
हरी-भरी और सुन्दर
फिर नए किनारे
फिर नया समुन्दर