Last modified on 1 अप्रैल 2011, at 23:20

चाँद / सौरभ

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:20, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ए चाँद तुम क्या हो!
आशिकों के लिए तुम हो एक शेयर
एक गज़ल हो तुम
तुम हो एक नग़मा
वैज्ञानिकों के लिए तुम एक पिण्ड हो
हो पृथ्वी के अँश
इस नाते तो तुम हो पृथ्वी भ्राता
बच्चे इसलिए ही तुम्हें कहते हैं मामा
कभी तुम हो जाते हो ईश्वर
तब तुम कहलाते हो ईद का चाँद
जब तुम तोड़ते हो करवा चौथ का व्रत
तब तुम पतियों को पिताओं को
प्रदान करते हो लँबी उम्र
जब नील आर्मस्ट्राँग ने रखे थे
तुम पर अपने कदम
तब तुम एक बूझी हुई पहेली हो गए
आश्चर्य की बात तो यह है कि
फिर भी तुम पूज्य हो
असंख्य मनुष्यों के लिए