कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
दुर्भेद्य जाल-सा जकड़ प्राण
गाता समुद्र के रूद्र-गान
जब भूखी नागिन-सी तरंग
डसती तरणी के अंग-अंग
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दुर्भेद्य जाल-सा जकड़ प्राण
गाता समुद्र के रूद्र-गान
जब भूखी नागिन-सी तरंग
डसती तरणी के अंग-अंग