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प्रेम / आलोक श्रीवास्तव-२

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दुख ही लाया प्रेम
पर यह भी तो था जीवन का एक रंग
और हर रंग का अपना ही तिलिस्म होता है
रंगों के भीतर होते हैं कई रंग...