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प्यासा कुआँ / विमल कुमार

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हर बार
जाता है प्यासा
कुएँ के पास
अपना लोटा और डोरी लिए

वह डालता है उसे
कुएँ में बहुत उम्मीद के साथ
कई बार नहीं निकलता है पानी
फिर भी वह जारी रखता है कोशिश अपनी

मरने तक देखता है कुआँ
उस प्यासे को दम तोड़ते हुए कई बार
क्या कुएँ को मिलता है सुख इससे

कुआँ भी कहता है
नहीं मिटा सकता
मैं सबकी प्यास
यह पानी बचा कर रखा है मैंने
किसी के लिए

पर कुआँ
कभी नहीं जाता
किसी के पास
उसके निकट भी नहीं
जिसके लिए उसने पानी बचा रखा है

आख़िर क्यों कुआँ हो गया
इतना निर्दयी ?

क्या वह भी कभी था प्यासा
पिछले जन्म में
और किसी कुएँ ने नहीं बुझाई थी
उसकी प्यास, उसके घर जाकर ?