Last modified on 21 अक्टूबर 2007, at 19:11

जीवन मृत्यु / अनिल जनविजय

(प्रभात मित्तल के लिए)


मृत्यु

नहीं है अन्तिम क्षण

उसके बाद भी है

जीवन


जब तक

स्मृति के अवशेष

तब तक रहता

जीवन शेष


(1999 में रचित)