पापा की तनख़्वाह में
घर भर के सपने।
चिंटू का बस्ता,
मिंटी की गुड़िया,
अम्मा की साड़ी,
दादी की पुड़िया,
लाएँगे, लाएँगे
पापा जी अपने।
पिछला महीना तो
मुश्किल में काटा,
आधी कमाई में
सब्जी और आटा,
अगले में घाटे
पड़ेंगे जी भरने।
पापा की तनख़्वाह में
घर भर के सपने।