Last modified on 19 अप्रैल 2011, at 01:32

होली/ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:32, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण

 एक दूजे के अंग लगें तो होली है
 सबको लेकर संग चलें तो होली है

 बच्चे तो शैतानी करते रहते हैं
 बूढ़े भी हुड़दंग करें तो होली है

 औरों को तो रोज परेशां करते हैं
 अपनों को ही तंग करें तो होली है

 चलते रहते रोज अजीवित वाहन पर
 गर्धव का सत्संग करें तो होली है

 बनते हैं पकवान सभी त्यौहारों पर
 हर गुझिया में भंग भरें तो होली है

 घोर विषमता भरे कष्टकर जीवन में
 मुसकाने का ढ़ंग करें तो होली है

 नारिशील पर मर्यादा की सील लगी
 वही शील को भंग करें तो होली है

 बच्चे बूढ़े प्रेम करें तो जायज है
 इसी काम को यंग करें तो होली है