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दुनिया अब हमज़ात नहीं है / मोहम्मद इरशाद

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दुनिया अब हमज़ात नहीं है
जीते है वो बात नहीं है

ख़्वाब सुनहरे आये कैसे
पुरसूकु कोई रात नहीं है

भीग के जिसमें मन ये गाये
पहले सी बरसात नही है

सदियों के हैं रिश्ते अपने
दो दिन की मुलाकात नहीं है

मिलता है ‘इरशाद’ सभी से
उसकी कोई ज़ात नही है