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रात / के० शिवारेड्डी

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आँखें मौजूद हैं
देखो मत ।
औज़ार भी मौजूद है
उठो मत ।
पाँव की सेवा करो
लोग भी मौजूद हैं
लेकिन चीज़ों से भी बदतर ।

मूल तेलुगु से अनुवाद : संतोष अलेक्स