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मां /मीठेश निर्मोही

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म्हनै बुलाय
सूंपणी चावती ही
थूं ।

थनै अर
थारी
कूंख नै

जतळायां
कै
फगत
कस्टीज्यां ई
हरी नीं व्हे जावै
मां री
कूंख ।
दागल ई व्हे जावै
जद
जाया बिसरावै
पूत जिणियां ई
निपूती बाजै ।
पण औ कांई
म्हनै सांम्ही देख
ऊंडै हेज
थूं आपरौ आपौ
पांतरगी
मां !

तद इज तौ म्हैं
किणी मरसिया रै बणण सूं पैली
थनै रच लेवणी चावूं
मां कै
कदैई
औरूं नीं दागीजै
कोई
कूंख ।