मिल मालिक का बड़ा पेट है
बड़े पेट में बड़ी भूख है
बड़ी भूख में बड़ा जोर है
बड़े जोर में जुलुम घोर है
मिल मालिक का बड़ा पेट है
अत्याचारी नीति धारता
शोषण का कटु दाँव मारता
गला-काट पंजा पसारता
मिल मालिक का बड़ा पेट है
मजदूरों को नहीं छोड़ता
उन्हें चूसकर तोष तोलता
एकाकी ही स्वर्ग भोगता।
रचनाकाल: १५-०६-१९४६